आज दिल फिर धक धक कर रहा है
उस काले दिन की याद ताजा़ कर रहा
जब दऱवाजे़ की एक दस्तक में
जीवन का सूरज डूबा था
मुसकराने का हर मकसद टूटा था
एक स़दूक में भरा पूरा आंसमान था
वो टूटा फोटो फ्रेम
फटी जेब वाली पतलून
सीने पर लाल दाग वाली बुर्शट
तिरंगे में आँख मूंदे लिपटी उसकी टूटी ज़िदंगी
लौट आई थी उसके पास हमेशा के लिए
सूनी रातों को और सूना कर गई
रंगीन ख्वाबों को बदरंग कर गई थी
वो वतन की मिट्टी माथे से लगा
ढेंरों आँसू दिल में बसा
उस तमगे को सीने से लगा
जीने का मकसद ढूँढ रही थी
फक्र से अपने लाल को भेजा था फिर
उसी मिट्टी का कर्जं उतारने अभी कुछ दिन पहले
आज दिल फिर धडक रहा जो़र से
बेवक्त दरवाजे़ पर फिर दस्तक हुई है
उफ्फ... फिर दस्तक हुई है.....।
~31/08/2017~
©Copyright Deeप्ती
उस काले दिन की याद ताजा़ कर रहा
जब दऱवाजे़ की एक दस्तक में
जीवन का सूरज डूबा था
मुसकराने का हर मकसद टूटा था
एक स़दूक में भरा पूरा आंसमान था
वो टूटा फोटो फ्रेम
फटी जेब वाली पतलून
सीने पर लाल दाग वाली बुर्शट
तिरंगे में आँख मूंदे लिपटी उसकी टूटी ज़िदंगी
लौट आई थी उसके पास हमेशा के लिए
सूनी रातों को और सूना कर गई
रंगीन ख्वाबों को बदरंग कर गई थी
वो वतन की मिट्टी माथे से लगा
ढेंरों आँसू दिल में बसा
उस तमगे को सीने से लगा
जीने का मकसद ढूँढ रही थी
फक्र से अपने लाल को भेजा था फिर
उसी मिट्टी का कर्जं उतारने अभी कुछ दिन पहले
आज दिल फिर धडक रहा जो़र से
बेवक्त दरवाजे़ पर फिर दस्तक हुई है
उफ्फ... फिर दस्तक हुई है.....।
~31/08/2017~
©Copyright Deeप्ती