Friday, April 30, 2021

में रक्षक हूं



शत विशिप्त सा हुआ
लहू लुहान अंग अंग मेरा
मन में उमंग जीवित है
में देश का रक्षक हूं

घुसपैठिए को मार भगा दूं
आंख लहूलुहान कर दूं
मेरी मां पर नजर जो बुरी डाले
में रक्षक हूं आन का

सिर चाहे काट ही दो
शान से सिर उठा में जियुं
तमगो की ना चाह मुझे
में तो बस रक्षक हूं

लौट आऊंगा ज़रूर में
चाहे चल के पैरों पे
या ही आऊं बक्से में
में रक्षक ही रहूंगा

चाहे यादों में रहूं ना रहूं
खत्म कर दुश्मन को
में अपनी नजर में ज़िंदा हूं
हां हां में रक्षक हूं।

....30/04/2021...
©Deeप्ती


Thursday, April 29, 2021

आभारी है🙏


हर तरफ महामारी है, 
बीमारी है
फिर भी हम तेरे 
आभारी है
क्योंकि हम में
अभी भी जीवन जारी है

चारो और परेशानी है
लाचारी है
हस्पताल में बेड की
भारी कमी आरही है
फिर भी हम आभारी है
जीने की ललक  जारी है

सांसे की बहुत
आह झाई है
करुण कृंदन से
हवा भारी है
हम तो अब भी आभारी है
हमने जीवन बाकी है

-29/04/2021-

© Deeप्ती

Sunday, April 18, 2021

विलंब ना करो



बदलते हालत
बिगड़ते जा रहे है
वक्त की इस आंधी में
यूं ही बहे जा रहे है
हर रोड़े को कर रहे थे पार
इस बार उसके
चक्रव्यूह में ही
फसते जा रहे है
है प्रभु, विलंब ना करो
कल्की रूप का है इंतजार
करवा दो ये नैय्या पार
एक एक कर के क्यूं
ले जा रहे हो
एक बार में ही
कर दो खत्म
दुनिया का यह व्यापार।

©deeप्ती