Tuesday, March 30, 2021

मेरा आखिरी खत



अपने पूरे होशो हवास में लिख रही हूं में यह खत... मेरा आखिरी खत। में जब चली जाऊं तब मेरा कमरा, मेरी अलमारी सब टटोल लेना। कहीं किसी भी कोने में कोई याद बाकी नहीं रहनी चाहिए।

कहने को मेरा था ही क्या जो मिलेगा बिखरा हुआ। फिर भी मेरी किताबों में पीली पड़ी उस गुलाब की पत्तियां पड़ी होंगी जो पहली बार मुझे मिला था। उस ले जा कर सामने बगिया में बिखेर देना। महक उठेगी वो भी कुछ पल के लिए मेरी यादों से।

मेरे रंगों वाले डब्बे में कुछ रंग सूखे तो कुछ ताज़े मिल जाएंगे। ताज़े रंगों को अनाथ आश्रम में दे आना। शायद कुछ मासूम किलकारियों सिमट जाए और नई तस्वीरें सामने आ जाए।

मेरी खुशियों की गठरी पड़ी है नीचे तहखाने में उसे निकाल लाना। खोल कर उलट पलट कर धूप दिखा देना। सड़क पर बुझी सैकड़ों आंखो को शायद उनसे कुछ रोशनी मिल जाए।

रसोई के मसाल दान में सिमटी होंगी मेरी ख्वाहिशों की पुड़िया। उन्हें बांट देना जा कर सभी कोनो में।

मेरी गलतियों की पोटली भी ताड़ पर दुबकी मिल जाएगी उसे याद से मेरे संग ही जला देना। भूलना मत।

मेरी यही कुछ आखिरी इच्छाएं पूरी कर सको तो ज़रूर कर देना।

,📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝