Friday, November 22, 2019

नयी सुबह

पुष्कर २०१५ 



एक अंत तो एक शुरुवात 
जैसे हों दिन और रात 
एक ही सिक्के के दो पहलु 

यादों से आस तक का सफर 
पल में तय कर लेता है 
तजुर्बे और विश्वास 
की तर्ज़ पर 
नए सपने संजो लेता है 

टूटे वादों को निभाने की 
कसम खाता है 
और जो छूट जाता है 
उसपर आँसू नहीं बहाता 
नयी राह से नयी दिशा पकड़ 
आगे बढ़ता जाता है। 

सच्ची सीख देता है हमको 
ये विचित्र और अद्भुत 
दिसंबर से जनवरी तक 
का यह छोटा सा सफर
जीवन और मृत्यु भी तो 
यही है बस 
दिसम्बर से जनवरी के एक पल का सफर।  
~ २२/११/२०१९~ 

©Copyright Deeप्ती

Monday, November 4, 2019

लम्हे

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लम्हे तो लम्हे है हर पल 
गुज़रते जाते हैं 
सूखी रेत से फिसलते जाते हैं 
कुछ सीख लिया तो अच्छा 
नहीं सीखा तो भी अच्छा 
मुस्कराते रहो 
गुनगुनाते रहो 
लम्हो का यही फ़साना है। 

क्या सोचे क्या हुआ 
क्या समझे क्यों हुआ 
पीछे मुड़ कर देखे क्यों 
आगे नए सपने खड़े 
कुछ नए लम्हों 
में जकड़े हुए 
आओ हाथ बढ़ा के 
थाम ले झोली भर-भर कर। 

आओ कुछ नए लम्हे गढ़ें 
कुछ नयी यादे बनाएं  
थोड़ा थोड़ा जी लें 
थोड़ा थोड़ा रम लें 
नादाँ लम्हों से 
कुछ और सीख लें 
ये ही तो हैं बस हमारे 
अपने आप को खोज लें। 


~ ०४/११/२०१९~ 

©Copyright Deeप्ती