पुष्कर २०१५ |
एक अंत तो एक शुरुवात
जैसे हों दिन और रात
एक ही सिक्के के दो पहलु
यादों से आस तक का सफर
पल में तय कर लेता है
तजुर्बे और विश्वास
की तर्ज़ पर
नए सपने संजो लेता है
टूटे वादों को निभाने की
कसम खाता है
और जो छूट जाता है
उसपर आँसू नहीं बहाता
नयी राह से नयी दिशा पकड़
आगे बढ़ता जाता है।
सच्ची सीख देता है हमको
ये विचित्र और अद्भुत
दिसंबर से जनवरी तक
का यह छोटा सा सफर
जीवन और मृत्यु भी तो
यही है बस
दिसम्बर से जनवरी के एक पल का सफर।
~ २२/११/२०१९~
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