मूर्ति की पूजा हम खूब करेंगे
हार चढ़ी तस्वीर भी पूजनीय है
अरे किसके पास वक़्त है
हाड मांस के लिए वो जिए या मरे
हमारी बला से
उस दुर्गा माँ को तो हम पूजेंगे
वही किसी कोने में खेलती मासूम ज़िन्दगी
को तो हम नोच खाएंगे
फिर चाहे वो घर की कली हो या बाहर की
हमारी बला से
वो दुर्गा मूर्ति वाली माँ तो बस मुस्कराती रहती है
वो क्या बिगाड़ लेगी हमारा
हम चाहे जितने चीर हरण करें
कौन कृष्ण बचाने आएंगे
हमारी बला से