Wednesday, April 8, 2020

होश



शुष्क हवाओं  के दरमियां
लहराते केशों के संग गान
चमकीली धुप में झुलसती
पीली पड़ी नाचती पत्तियां
बाजे चिड़ियों की मीठी तान
छोटे छोटे घरोंदों में थी नन्ही जान
जो कर रही अपना जल पान

स्वच्छ अम्बर में चमका चाँद
मनमोहक तारों ने दिया बाँध
खरगोश फुदक पंहुचा अपनी माँद
शीतल हवा के झोके ने
करे हया के सब परदे फाँद

दिल की बगिया महकी 
डाल पे चिड़िया चहकी 
फ़िज़ाओं के होश ले बहकी। 

~ ०७/०४/२०२० ~ 

©Copyright Deeप्ती

Tuesday, April 7, 2020

दिल की तड़प



सुबह शाम दिल को तड़पाएँ
खट्टी मीठी यादें , कड़क पापड सी

चटपटी बातें दिल को बहलायें
मसालेदार पापड़ी चाट सी

सी सी करती मेरी जिह्वा
नाचे बाजे जैसे कूकर की सीटी

श्रीखंड का है भोग लगाया
दिल को हमने कुछ यूँ बहलाया

~ ०७/०४/२०२० ~ 

©Copyright Deeप्ती

Monday, April 6, 2020

दोस्ती

Kindly Listen the Audio Version  of this .


हसरतों की इंतहां थी, राज़-ऐ-दिल  खोल आऊं
सोचती थी दोस्त कोई, साथ हो तो बोल आऊं

वो हसीं सी शाम थी,  राह में  मिले यूँ
बदहवासी में ढली, कहने लगी ये मोल आऊं

 जल रही थी जो ज़मीन, वो बादलों से हो चली तर
 कह उठा दिल यूँ न करना ये, की रिश्ता तोल आऊं

उस घटा को इस ज़मीन पे, मैं उतारूँ ये तम्मन्ना
तुम मिले तो सोचा, उस खुदा को बोल आऊं

मैं पड़ी थी मर गयी सी ,न खबर थी रात तक ये
दिन चढ़ा तो मौज आया, बात ये भी खोल आऊं

भीड़ में थे हम अकेले, ये न जाना सामने था
हमसफ़र इक साथ जिसके, सच भरे पल डोल आऊं

साथ रहकर भी अकेले, तुम हमेशा क्यों रहे हो
दो ज़हर अपना मुझे उसको कहीं घोल आऊं



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