Wednesday, April 4, 2018

अधूरे अलफाज़

सिमट जाने दो आज
कागज़ पर लफजो़ की हर सिलवट को
क्या खबर कितनी बेचैंनियां दबी हैं नादांने दिल में

गुफतगू करते वो खामोश दिल
धडकन के संमुंदर में बहते
करें इतंज़ार कशती का

उफनती लहरों की तनहांइयां
मोन शोर को समेट
बिखेरें मुस्कराहटें चटा्नों पर।

-०४/०४/२०१८-


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