क्या शुभकामनाऐं दूं
सोचती बैठी में
क्या सिफ्र एक ही दिन तेरा
माँ तू तो हर रोज़ माँ है
तेरा प्रेम निछल है
हर फूल को समान रस है
तू यहाँ रहे न रहे
तेरा प्रेम अजर अमर है
यूं ही सदा मुसकराते रहना
अपने फूलों को संभाले रखना
अपने आंचल कि खुशबु से
सबका जीवन महकाए रखना।
-14/05/2017-
©Copyright Deeप्ती
सोचती बैठी में
क्या सिफ्र एक ही दिन तेरा
माँ तू तो हर रोज़ माँ है
तेरा प्रेम निछल है
हर फूल को समान रस है
तू यहाँ रहे न रहे
तेरा प्रेम अजर अमर है
यूं ही सदा मुसकराते रहना
अपने फूलों को संभाले रखना
अपने आंचल कि खुशबु से
सबका जीवन महकाए रखना।
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