Sunday, May 14, 2017

माँ

क्या शुभकामनाऐं दूं
सोचती बैठी में

क्या सिफ्र एक ही दिन तेरा
माँ तू तो हर रोज़ माँ है
तेरा प्रेम निछल है
हर फूल को समान रस है

तू यहाँ रहे न रहे
तेरा प्रेम अजर अमर है

यूं ही सदा मुसकराते रहना
अपने फूलों को संभाले रखना
अपने आंचल कि खुशबु से
सबका जीवन महकाए रखना।

-14/05/2017-



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Wednesday, May 10, 2017

सपने

जिंदगी की हसीन भोर 
खिलखिलाहटों में कब 
बीती कहां खबर

यूं हीं बीते आती
सांछ भी हमारी
मुसकराहटों तले

इक दूजे के सपने
अखियों में बसा
कर लें जीवन पार पथ।




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Monday, May 8, 2017

बिन तेरे

बिन तेरे फीकी लागे
चाय की चुसकीयां
बदरगं लागे 
फूलों की कलियां

झूले के सूखे झोंके
केश उडाऐं हौले हौले
अखियां तरसें तेरे लिये
आजा साजन जल्दी से

बेजान सी बाहें
करें इतंज़ार तेरा
सूनी सेज सजा़ जा
जुलमी साजन आ जा


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