सुनो सुनो ....
... घर घर की कहानी ,
जहाँ डटी है वीर ग्रहणी .......
पापा की परी और सइयां की रानी
सो फीसदी बनी नौकरानी
घिस घिस बर्तन, घिस घिस कपडे
सूख गए हैं अब हाथ उसके
जिन हाथों में लहराती थी कलम कभी
आज थामे झाड़ू और करछी
ब्यूटी पार्लर के वे करिश्मे
जिसमे सफ़ेद बाल भी लगते काले
मुंह चिड़ा उससे बोले
घास फूस से हुई हैं भौंवे
बिन ब्लीच लगती जैसे 'कौवे'
कमर टूटी, दर्द से तड़पी
'कोरोना' के केहर से लिपटी
बेरहम swiggy , zomato ने छोड़ा साथ
किचन में ना दे रहा कोई हाथ
pizza , burger , परांठा और रोटी
दिनभर बाजे कूकर की सीटी
सुनो सुनो ....
... घर घर की कहानी ,
जहाँ डटी है वीर ग्रहणी .......।
~ ३०/०३/२०२०~
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