Sunday, November 21, 2021

ख्वाब


ख्वाब में हम मिले थे तुमसे
तुम वहां दीवार से सट कर खड़े थे
होठों पर हल्की मुस्कान लिए
मुझे ही निहार रहे थे

कहो ना प्रिय
मन की बातें मुझसे
कुछ ना रखो दिल में
हर भावना बह जाने दो

में भी बैठी थी नदी किनारे
करती तुम्हारा ही इंतजार
कैसे पहला कदम बढ़ाती
मन की बगिया पुलकित थी

कहो ना प्रिय
खोल दो राज उस मुस्कान के पीछे
धड़कन बढ़ने लगी है 
कुछ सुनने को तरसी हैं

ख्वाब में ही सही
हुई तो मुलाकात हमारी
शब्दों ने ना लिया रूप
दिल ने फिर भी हर बात समझी

©Deeप्ती


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