Monday, January 17, 2022

समय

इक समय की बात है
सड़को पर थी रंगीनियां
दिलों में थी गर्मियां
मिलते थे सब गले मिल के
पीते थे चाय साथ में

ना जाने कहां खो गया
वो मीठा मिलनसार वक्त
आज तो हर कोई है कतराता
मिलने से अब घबराता
चाय पीना तो दूर
साथ बैठने से भी कटता

समय समय की बात है
वो समय ना रहा तो क्या
यह समय भी कहां रहेगा
समय ही तो है साशवत
बाकी सब मिथ्या भ्रम है

१७/०१/२०२२

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